साभार बीबीसी :
पाणिनी आनंद
पाणिनी आनंद
बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
“वेब पत्रकारिता में अंग्रेज़ी का प्रभुत्व बहुत दिन नहीं रहने वाला है. क्षेत्रीय और स्थानीय भाषा में बन रहे वेब पोर्टलों और वेबसाइटों का प्रभाव बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है और इनका भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है.”
यह कहना है बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के मार्केटिंग विभाग के कंट्रोलर एलेन बूथ का. एलेन बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की ओर से दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान में वेब पत्रकारिता पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे.
हालांकि एलेन बूथ इस बात की चर्चा करने से भी नहीं चूके कि वेब पत्रकारिता में सबसे बड़ा सवाल विश्वसनीयता को लेकर भी है.
उन्होंने कहा, “आज लोगों को इतनी जगहों से समाचार मिल रहे हैं कि लोगों के लिए समाचारों की विश्वसनीयता एक बड़ा मुद्दा है. यह वेब पत्रकारिता के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.”
सेमिनार में पारंपरिक मीडिया और ऑनलाइन पत्रकारिता के बीच की दूरियों की चर्चा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अजय उपाध्याय ने कहा, “देश में कंप्यूटर साक्षरता बढ़ रही है. हिंदी में संभावनाएँ और चुनौतियाँ अधिक हैं लेकिन अभी इंटरनेट पर हिंदी में सामग्री का बहुत अभाव है.”
“वेब पत्रकारिता में अंग्रेज़ी का प्रभुत्व बहुत दिन नहीं रहने वाला है. क्षेत्रीय और स्थानीय भाषा में बन रहे वेब पोर्टलों और वेबसाइटों का प्रभाव बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है और इनका भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है.”
यह कहना है बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के मार्केटिंग विभाग के कंट्रोलर एलेन बूथ का. एलेन बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की ओर से दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान में वेब पत्रकारिता पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे.
हालांकि एलेन बूथ इस बात की चर्चा करने से भी नहीं चूके कि वेब पत्रकारिता में सबसे बड़ा सवाल विश्वसनीयता को लेकर भी है.
उन्होंने कहा, “आज लोगों को इतनी जगहों से समाचार मिल रहे हैं कि लोगों के लिए समाचारों की विश्वसनीयता एक बड़ा मुद्दा है. यह वेब पत्रकारिता के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.”
सेमिनार में पारंपरिक मीडिया और ऑनलाइन पत्रकारिता के बीच की दूरियों की चर्चा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अजय उपाध्याय ने कहा, “देश में कंप्यूटर साक्षरता बढ़ रही है. हिंदी में संभावनाएँ और चुनौतियाँ अधिक हैं लेकिन अभी इंटरनेट पर हिंदी में सामग्री का बहुत अभाव है.”
बढ़ता बाज़ार
बीबीसी हिंदी सेवा के भारत संपादक संजीव श्रीवास्तव ने इस अवसर पर मौजूद छात्रों के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “बाज़ार ने क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को बहुत महत्व दिया है और आने वाले समय में बाज़ार के दबाव में ही सही लेकिन सभी को हिंदी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को स्वीकार करना पड़ेगा.”
उन्होंने छात्रों को समझाया कि वेब पत्रकारिता में भविष्य बनाने के लिए किस तरह की तैयारी और किन बातों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है.
वहीं बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की संपादक सलमा ज़ैदी ने बीबीसी हिंदी ऑनलाइन के अब तक के सफ़र पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा, “वेब पत्रकारिता करने वालों का दायरा बहुत बड़ा हो जाता है. उनकी ख़बर एक पल में सारी दुनिया में पहुँच जाती है जो कि अन्य समाचार माध्यमों में संभव नहीं है.”
सेमिनार में बोलते हुए वेब दुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अभी इंटरनेट की पहुँच बहुत कम है. कंप्यूटर के दाम अभी आम आदमी की पहुँच से काफ़ी अधिक हैं.
बहस
वेब पत्रकारिता के भविष्य और संभावनाओं पर चर्चा के साथ ही कई मुद्दों पर जमकर बहस भी हुई.
मसलन, हिंदी वेब पत्रकारिता में फॉन्ट की समस्या और हिंदी भाषा के बदलते स्वरूप पर भी छात्रों और अतिथियों ने चर्चा की.
इस अवसर पर बोलते हुए आईआईएमसी में हिंदी पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष, प्रोफ़ेसर प्रदीप माथुर ने कहा कि मीडिया का लोकतंत्रीकरण करने में वेब पत्रकारिता बड़ी भूमिका निभा रहा है लेकिन अभी भारत में हिंदी वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में काफ़ी कुछ किए जाने की ज़रूरत है.
कार्यक्रम का संचालन बीबीसी की बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर विनीता द्विवेदी ने किया.