कम्प्यूटर तकनीकी और सूचना विज्ञान आज इस स्थिति में है कि हम बड़ी ही आसानी से हिन्दी भाषा का प्रयोग कर सकते हैं। कुछ वर्षों पहले जिस साधारण कार्य को करने के लिए मुझे एक विशेष प्रकार का कम्प्यूटर हार्डवेयर प्रयोग करना पड़ता था और उसके बाद भी मनोवाँछित कार्य नहीं हो पाता था, आज वह कार्य कुछ ही क्षणों में हो जाता है। उदाहरण के लिए यदि आप किसी को हिन्दी में ई-मेल करना चाहते हैं तो यह कार्य आज बड़ी आसानी से संभव है। हिन्दी में ई-मेल करने के लिए अलग-अलग वेबसाईटों पर कई लोगों ने कई सुविधा स्थापित कर रखी हैं।
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इसी प्रकार अगर आप सोचते हैं कि हिन्दी लिपि देवनागरी में टाइप करना कठिन है, तो कृपया ध्यान दें। देवनागरी में टाइप करना बहुत ही सरल है और इसके लिए आपको किसी टाइपिंग के विद्यालय आदि में जाने की कोई आवश्यकता भी नहीं है। आप बड़ी ही सरलता से घर बैठे ही अपने कम्प्यूटर पर हिंदी में टाइप करना सीख सकते हैं। आज ही, और अभी ही इसका सरल अभ्यास आरंभ कीजिए। परंतु इसके पहले कुछ पृष्ठभूमि समझना आवश्यक है।
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भारतीय वैज्ञानिकों ने सभी भारतीय भाषाओं के लिए वैज्ञानिक ढंग से शोध करके एक की-बोर्ड का क्रम बनाया है। आपने देखा होगा कि अंग्रेजी का की-बोर्ड एक निश्चित आयोजन का प्रयोग करता है। इसी तरह हिन्दी को कम्प्यूटर पर प्रयोग करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने भी एक की बोर्ड का आयोजन किया जिसमें सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले अक्षर बीच के बटनों पर होते हैं। उदाहरणतः अ, प, र, क और छोटी मात्राएँ आदि जिनका प्रयोग अधिक होता है उन्हें की-बोर्ड की बीच की पंक्ति में रखा गया है और कम प्रयोग होने वाले अक्षर उँगलियों की सहज पहुँच से दूर की ऊपरी या निचली पंक्ति पर रखे गये है।
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सभी भाषाओं को आसानी से जाल पृष्ठों पर उपलब्ध करवाने के विषय में लगातार कार्य चल रहा है और इसके लिए एक विश्व संस्था का गठन किया गया है जो कि सारे विश्व की भाषाओं को उन भाषाओं के व्यक्तिगत नियमों के अनुसार कम्प्यूटर पर प्रयोग करने कि सुझाव और निर्देश तैयार करती है। इस संस्था का नाम यूनिकोड.आर्ग है। इस संस्था का उद्देश्य विश्व की विभिन्न भाषाओं में सूचना के आदान-प्रदान, विश्लेषण और लिखित जानकारी की प्रस्तुति है। इस हेतु हर भाषा के वर्णों के लिए नियमावली बनाई गई है। यह नियमावली किसी भी भाषा के वर्णों को उनके योग्यता ( प्रयोग में वरीयता योग्यता का आधार होता है) के अनुसार एक क्रम में आयोजित करती है। इस प्रकार बने क्रम को किसी भी आपरेटिंग सिस्टम पर समान रूप से प्रयोग किया जा सकता है। चूँकि उनकी वरीयता निर्धारित होती है इसलिए इस पद्धति पर आधारित फाँन्ट केवल लेख लिखने का कार्य करने के स्थान पर डाटाबेस और वर्क्स शीट आदि में भी प्रयोग किये जा सकते हैं।
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कम्प्यूटर में यदि हम जब किसी भाषा की लिपि में लेख टाइप करना चाहते हैं, तो उसके लिए किसी न किसी फॉन्ट का प्रयोग करते हैं। अंग्रेजी तथा कई देवनागरी लिपि मे कुछ टाइप करना चाहते हैं तो उसके लिए कई प्रकार के फॉट उपलब्ध हैं। अंग्रेजी के ज्यादातर फॉन्ट एक निश्चिट की-बोर्ड सारणी का प्रयोग करते हैं। परंतु देवनागरी के ज्यादातर फॉन्ट अलग-अलग नियमों की सारणी का प्रयोग करते हैं। इस कारण इन सभी फोन्टों में आपस में जानकारी का आदान-प्रदान कठिन हो गया है। इसी कारण यूनिकोड आधारित फान्ट इस समस्या को दूर करने के लिए बनाये गये हैं।
लोकेल और फॉन्ट हर भाषा की लिपि और उसके प्रयोग के नियम उसका लोकेल निर्धारित करते हैं, जैसे देवनागरी, कन्नड़, तमिल, बंगला और अन्य भाषायें अलग-अलग नियमों के आधार पर बोली और लिखी जाती है, अतएव इन सबका लोकेल अलग-अलग होता है। पर यदि हमारे कम्प्यूटर में देवनागरी का लोकेल स्थापित भी हो तब भी हम लिपि की बनावट को अलग अलग प्रकार से लिखकर विभिन्न फॉन्टों में व्यक्त कर सकते हैं। इसीलिए कई प्रकार के फॉन्ट आते हैं। सभी भारतीय भाषाओं, जिनमें देवनागरी भी सम्मिलित है कोई एक मानक न होने के कारण कई उद्यमों ने अपने अलग-अलग नियमों के आधार पर अपने फॉन्ट बना लिए थे और इस प्रकार एक फॉन्ट में लिखी जानकारी उस फॉन्ट के उपलब्ध न होने पर जाननी संभव नही होती थी। इसके विपरीत अंग्रेजी में यह समस्या नहीं है। उदाहरण के लिए हर कम्प्यूटर के की-बोर्ड मे “a अक्षर का स्थान निश्चित है और संबधित बटन को दबाने पर ही लिखा जा सकता है, और किसी दूसरे बटन को दबाने पर हम “a” लिखने की अपेक्षा नहीं रखते हैं। परंतु यदि आपने कृति डेव फॉन्ट मे टाइप किया है, तो संभवत सी-डेक द्वारा बनाये गये गणेश फॉन्ट मे इसे नहीं पढ़ सकते हैं, क्योंकि ये दोनो फॉन्ट अ को लिखने के लिए अलग-अलग बटनों का प्रयोग करते हैं। परंतु यदि इन दोनों फॉटों का प्रयोग करके आप एक एक्सेल की स्प्रेड शीट बनायेंगे तो उसमें लिखी जानकारी को आप एक क्रम देना चाहें, जैसे अंग्रेजी में लिखी जानकारी को आप सोर्ट कर लेते हैं, तब यह संभव नहीं होगा। परंतु यदि आपने यूनिकोड समर्थित फॉन्ट का उपयोग किया है, जैसे कि मंगल आदि तब आप इस जानकारी को बिलकुल अंग्रेजी में लिखी जानकारी की तरह कम्प्यूटर के निर्देश से वरीयता दे सकते हैं (यानी सोर्ट कर सकते हैं)। यह जाल पृष्ठ यूनिकोड समर्थित फॉन्ट का प्रयोग करता है और यूनिकोड समर्थित फॉन्ट की सुविधाओं को जानने के बाद अधिकाधिक प्रयोगकर्ता भी इनका प्रयोग करने लगे हैं। यदि आप गूगल पर कोई खोज करना चाहते हैं तो आपको यूनिकोड समर्थित फॉन्ट का प्रयोग ही करना पड़ेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सबसे बढ़िया तरीका यह है कि आप अपने कम्प्यूटर में देवनागरी का लोकेल स्थापित कर लें। इस प्रकार न केवल आप देवनागरी में बनाये हुये जाल-पृष्ठ आसानी से देख पायेंगे बल्कि आप खोज और ई-पत्र भी आसानी से लिख पायेंगे।
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देवनागरी का लोकेल अपने कम्प्यूटर में स्थापित करना देवनागरी का लोकेल माइक्रोसाफ्ट विण्डोस 2000 या उसके आगे के सभी माइक्रोसाफ्ट आपरेटिंग सिस्टम में प्रयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार रेडहेट लाइनक्स और एप्पल के ओ एस एक्स (टाइगर या नये संस्करण) में भी इसका प्रयोग आसानी से संभव है। आइये अब विण्डोस में इसे कैसे आरंभ किया जाता है इसे समझें।
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सबसे पहले सुनिश्चित कर लें कि आपके पास विण्डोस 2000 या एक्स पी जो भी आप अपने कम्प्यूटर में प्रयोग कर रहे हैं, उसकी मूल सीडी आपके पास उपलब्ध है। विशेषकर यदि आपके पास विण्डोस 2000 या एक्स पी का पुराना संस्करण है। नये एक्स पी के संस्करणों में कभी-कभी आपको अपनी मूल सीडी की आवश्यकता नहीं भी पड़ती है। अब नीचे दिखाये गये चित्रों को देखकर अपने कम्प्यूटर में देवनागरी का लोकेल स्थापित कर लें। सबसे पहले चित्र में कंट्रोल पैनल को दिखाया गया है। कंट्रोल पैनल दो रूपों में आता है। एक है पुराना प्रचलित तरीका और दूसरा है नया तरीका। पुराने तरीके में सभी प्रतिरूप (आइकान) एक ही विण्डो में दिखाये जाते थे। परंतु नये तरीके में उन्हे एक वर्ग व्यवस्था दे दी गई है। प्रस्तुत चित्र नयी व्यवस्था का है परंतु पुराने प्रकार के कंट्रोल पैनल में आप Regional Options" का प्रयोग करके यह कार्य कर सकते हैं। सर्वप्रथम या फिर Date, time langauage and regional options" जो भी आपके कंट्रोल पैनल में दिख रहा है उस पर क्लिक करें। अब आपके सामने दूसरा चित्र आयेगा। इस चित्र में भाषाओं वाले बटन पर क्लिक करें। अब आपके सामने तीसरा चित्र आयेगा। इस चित्र में देखें कि Install files for complex scripts and right-to-left languages(including thai) के सामने टिक का निशान लगा हुआ है। यदि नहीं लगा है तो लगा कर ओके बटन दबायें। यदि आपके आपरेटिंग सिस्टम को मूल स्थापन Installation CD) सीडी की आवश्यकता होगी तो इसी स्थान पर आपसे मूल सीडी की माँग की विण्डो सामने आ जायेगी और मूल सीडी को कम्प्यूटर में लगाने के बाद कम्प्यूटर आवश्यक सॉफ्टवेयर स्वयं लोड कर लेगा। हो सकता है कि कम्प्यूटर रिबूट करना चाहे। यदि ऐसा हो तो कम्प्यूटर के पुनः बूट करने के बाद आप आगे की विण्डो में दिखाया गया कार्य कर सकते हैं।
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अब पुनः पहले की दोनों विण्डो के द्वारा होते हुये तीसरे विण्डो पर पहुँचे और details के बटन पर क्लिक करें। तत्पश्चात् आपके सामने चौथी विण्डो आयेगी। अब इस विण्डो में add के बटन पर क्लिक करें और मेनू में से हिन्दी का चयन कर लें। अब हिन्दी आप को Installed services में दिखने लगेगी। अब यदि आप advanced बटन पर क्लिक करेंगे तो आपको दिखेगा कि आप किस प्रकार आप कम्प्यूटर में प्रयुक्त भाषा को अपने इच्छानुसार बदल सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बायीं shift aur alt key एक बार दबाने पर आपका की बोर्ड हिन्दी में टाइप करेगा और फिर से दबाने पर वापस अंग्रेजी में लिखने लगेगा। इस समय यदि आप नीचे की बार में देखें तो एक छोटा प्रतिरूप EN या HI दिखायेगा। जिसका अर्थ है कि आप अंग्रेजी या हिन्दी की-बोर्ड का प्रयोग कर रहे हैं। यदि आपको फिर भी कोई समस्या आये तो आप हमें ई-मेल से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।
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इसी प्रकार अगर आप सोचते हैं कि हिन्दी लिपि देवनागरी में टाइप करना कठिन है, तो कृपया ध्यान दें। देवनागरी में टाइप करना बहुत ही सरल है और इसके लिए आपको किसी टाइपिंग के विद्यालय आदि में जाने की कोई आवश्यकता भी नहीं है। आप बड़ी ही सरलता से घर बैठे ही अपने कम्प्यूटर पर हिंदी में टाइप करना सीख सकते हैं। आज ही, और अभी ही इसका सरल अभ्यास आरंभ कीजिए। परंतु इसके पहले कुछ पृष्ठभूमि समझना आवश्यक है।
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भारतीय वैज्ञानिकों ने सभी भारतीय भाषाओं के लिए वैज्ञानिक ढंग से शोध करके एक की-बोर्ड का क्रम बनाया है। आपने देखा होगा कि अंग्रेजी का की-बोर्ड एक निश्चित आयोजन का प्रयोग करता है। इसी तरह हिन्दी को कम्प्यूटर पर प्रयोग करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने भी एक की बोर्ड का आयोजन किया जिसमें सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले अक्षर बीच के बटनों पर होते हैं। उदाहरणतः अ, प, र, क और छोटी मात्राएँ आदि जिनका प्रयोग अधिक होता है उन्हें की-बोर्ड की बीच की पंक्ति में रखा गया है और कम प्रयोग होने वाले अक्षर उँगलियों की सहज पहुँच से दूर की ऊपरी या निचली पंक्ति पर रखे गये है।
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सभी भाषाओं को आसानी से जाल पृष्ठों पर उपलब्ध करवाने के विषय में लगातार कार्य चल रहा है और इसके लिए एक विश्व संस्था का गठन किया गया है जो कि सारे विश्व की भाषाओं को उन भाषाओं के व्यक्तिगत नियमों के अनुसार कम्प्यूटर पर प्रयोग करने कि सुझाव और निर्देश तैयार करती है। इस संस्था का नाम यूनिकोड.आर्ग है। इस संस्था का उद्देश्य विश्व की विभिन्न भाषाओं में सूचना के आदान-प्रदान, विश्लेषण और लिखित जानकारी की प्रस्तुति है। इस हेतु हर भाषा के वर्णों के लिए नियमावली बनाई गई है। यह नियमावली किसी भी भाषा के वर्णों को उनके योग्यता ( प्रयोग में वरीयता योग्यता का आधार होता है) के अनुसार एक क्रम में आयोजित करती है। इस प्रकार बने क्रम को किसी भी आपरेटिंग सिस्टम पर समान रूप से प्रयोग किया जा सकता है। चूँकि उनकी वरीयता निर्धारित होती है इसलिए इस पद्धति पर आधारित फाँन्ट केवल लेख लिखने का कार्य करने के स्थान पर डाटाबेस और वर्क्स शीट आदि में भी प्रयोग किये जा सकते हैं।
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कम्प्यूटर में यदि हम जब किसी भाषा की लिपि में लेख टाइप करना चाहते हैं, तो उसके लिए किसी न किसी फॉन्ट का प्रयोग करते हैं। अंग्रेजी तथा कई देवनागरी लिपि मे कुछ टाइप करना चाहते हैं तो उसके लिए कई प्रकार के फॉट उपलब्ध हैं। अंग्रेजी के ज्यादातर फॉन्ट एक निश्चिट की-बोर्ड सारणी का प्रयोग करते हैं। परंतु देवनागरी के ज्यादातर फॉन्ट अलग-अलग नियमों की सारणी का प्रयोग करते हैं। इस कारण इन सभी फोन्टों में आपस में जानकारी का आदान-प्रदान कठिन हो गया है। इसी कारण यूनिकोड आधारित फान्ट इस समस्या को दूर करने के लिए बनाये गये हैं।
लोकेल और फॉन्ट हर भाषा की लिपि और उसके प्रयोग के नियम उसका लोकेल निर्धारित करते हैं, जैसे देवनागरी, कन्नड़, तमिल, बंगला और अन्य भाषायें अलग-अलग नियमों के आधार पर बोली और लिखी जाती है, अतएव इन सबका लोकेल अलग-अलग होता है। पर यदि हमारे कम्प्यूटर में देवनागरी का लोकेल स्थापित भी हो तब भी हम लिपि की बनावट को अलग अलग प्रकार से लिखकर विभिन्न फॉन्टों में व्यक्त कर सकते हैं। इसीलिए कई प्रकार के फॉन्ट आते हैं। सभी भारतीय भाषाओं, जिनमें देवनागरी भी सम्मिलित है कोई एक मानक न होने के कारण कई उद्यमों ने अपने अलग-अलग नियमों के आधार पर अपने फॉन्ट बना लिए थे और इस प्रकार एक फॉन्ट में लिखी जानकारी उस फॉन्ट के उपलब्ध न होने पर जाननी संभव नही होती थी। इसके विपरीत अंग्रेजी में यह समस्या नहीं है। उदाहरण के लिए हर कम्प्यूटर के की-बोर्ड मे “a अक्षर का स्थान निश्चित है और संबधित बटन को दबाने पर ही लिखा जा सकता है, और किसी दूसरे बटन को दबाने पर हम “a” लिखने की अपेक्षा नहीं रखते हैं। परंतु यदि आपने कृति डेव फॉन्ट मे टाइप किया है, तो संभवत सी-डेक द्वारा बनाये गये गणेश फॉन्ट मे इसे नहीं पढ़ सकते हैं, क्योंकि ये दोनो फॉन्ट अ को लिखने के लिए अलग-अलग बटनों का प्रयोग करते हैं। परंतु यदि इन दोनों फॉटों का प्रयोग करके आप एक एक्सेल की स्प्रेड शीट बनायेंगे तो उसमें लिखी जानकारी को आप एक क्रम देना चाहें, जैसे अंग्रेजी में लिखी जानकारी को आप सोर्ट कर लेते हैं, तब यह संभव नहीं होगा। परंतु यदि आपने यूनिकोड समर्थित फॉन्ट का उपयोग किया है, जैसे कि मंगल आदि तब आप इस जानकारी को बिलकुल अंग्रेजी में लिखी जानकारी की तरह कम्प्यूटर के निर्देश से वरीयता दे सकते हैं (यानी सोर्ट कर सकते हैं)। यह जाल पृष्ठ यूनिकोड समर्थित फॉन्ट का प्रयोग करता है और यूनिकोड समर्थित फॉन्ट की सुविधाओं को जानने के बाद अधिकाधिक प्रयोगकर्ता भी इनका प्रयोग करने लगे हैं। यदि आप गूगल पर कोई खोज करना चाहते हैं तो आपको यूनिकोड समर्थित फॉन्ट का प्रयोग ही करना पड़ेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सबसे बढ़िया तरीका यह है कि आप अपने कम्प्यूटर में देवनागरी का लोकेल स्थापित कर लें। इस प्रकार न केवल आप देवनागरी में बनाये हुये जाल-पृष्ठ आसानी से देख पायेंगे बल्कि आप खोज और ई-पत्र भी आसानी से लिख पायेंगे।
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देवनागरी का लोकेल अपने कम्प्यूटर में स्थापित करना देवनागरी का लोकेल माइक्रोसाफ्ट विण्डोस 2000 या उसके आगे के सभी माइक्रोसाफ्ट आपरेटिंग सिस्टम में प्रयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार रेडहेट लाइनक्स और एप्पल के ओ एस एक्स (टाइगर या नये संस्करण) में भी इसका प्रयोग आसानी से संभव है। आइये अब विण्डोस में इसे कैसे आरंभ किया जाता है इसे समझें।
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सबसे पहले सुनिश्चित कर लें कि आपके पास विण्डोस 2000 या एक्स पी जो भी आप अपने कम्प्यूटर में प्रयोग कर रहे हैं, उसकी मूल सीडी आपके पास उपलब्ध है। विशेषकर यदि आपके पास विण्डोस 2000 या एक्स पी का पुराना संस्करण है। नये एक्स पी के संस्करणों में कभी-कभी आपको अपनी मूल सीडी की आवश्यकता नहीं भी पड़ती है। अब नीचे दिखाये गये चित्रों को देखकर अपने कम्प्यूटर में देवनागरी का लोकेल स्थापित कर लें। सबसे पहले चित्र में कंट्रोल पैनल को दिखाया गया है। कंट्रोल पैनल दो रूपों में आता है। एक है पुराना प्रचलित तरीका और दूसरा है नया तरीका। पुराने तरीके में सभी प्रतिरूप (आइकान) एक ही विण्डो में दिखाये जाते थे। परंतु नये तरीके में उन्हे एक वर्ग व्यवस्था दे दी गई है। प्रस्तुत चित्र नयी व्यवस्था का है परंतु पुराने प्रकार के कंट्रोल पैनल में आप Regional Options" का प्रयोग करके यह कार्य कर सकते हैं। सर्वप्रथम या फिर Date, time langauage and regional options" जो भी आपके कंट्रोल पैनल में दिख रहा है उस पर क्लिक करें। अब आपके सामने दूसरा चित्र आयेगा। इस चित्र में भाषाओं वाले बटन पर क्लिक करें। अब आपके सामने तीसरा चित्र आयेगा। इस चित्र में देखें कि Install files for complex scripts and right-to-left languages(including thai) के सामने टिक का निशान लगा हुआ है। यदि नहीं लगा है तो लगा कर ओके बटन दबायें। यदि आपके आपरेटिंग सिस्टम को मूल स्थापन Installation CD) सीडी की आवश्यकता होगी तो इसी स्थान पर आपसे मूल सीडी की माँग की विण्डो सामने आ जायेगी और मूल सीडी को कम्प्यूटर में लगाने के बाद कम्प्यूटर आवश्यक सॉफ्टवेयर स्वयं लोड कर लेगा। हो सकता है कि कम्प्यूटर रिबूट करना चाहे। यदि ऐसा हो तो कम्प्यूटर के पुनः बूट करने के बाद आप आगे की विण्डो में दिखाया गया कार्य कर सकते हैं।
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अब पुनः पहले की दोनों विण्डो के द्वारा होते हुये तीसरे विण्डो पर पहुँचे और details के बटन पर क्लिक करें। तत्पश्चात् आपके सामने चौथी विण्डो आयेगी। अब इस विण्डो में add के बटन पर क्लिक करें और मेनू में से हिन्दी का चयन कर लें। अब हिन्दी आप को Installed services में दिखने लगेगी। अब यदि आप advanced बटन पर क्लिक करेंगे तो आपको दिखेगा कि आप किस प्रकार आप कम्प्यूटर में प्रयुक्त भाषा को अपने इच्छानुसार बदल सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बायीं shift aur alt key एक बार दबाने पर आपका की बोर्ड हिन्दी में टाइप करेगा और फिर से दबाने पर वापस अंग्रेजी में लिखने लगेगा। इस समय यदि आप नीचे की बार में देखें तो एक छोटा प्रतिरूप EN या HI दिखायेगा। जिसका अर्थ है कि आप अंग्रेजी या हिन्दी की-बोर्ड का प्रयोग कर रहे हैं। यदि आपको फिर भी कोई समस्या आये तो आप हमें ई-मेल से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।
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